घूम अकेला अकेले घूमने के लिए व्यक्ति में कुदरती तरंग और अनदेखा देखने की तलब सबसे जरूरी हैं। बाकी की सब बातें उसके बाद ही आती हैं। रोमांच, जीवट और संकट से खेलने की ललक, प्राकृतिक-सौंदर्य, भांति-भांति के भू-भाग, पहाड़-मैदान, लोग, भाषा-बोली, रिवाज, लोक-परंपरा आदि में रुचियों तथा अपनी अपनी क्षमता के अनुसार आप कहीं […]
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कैशलेस दुनिया: बिना नगदी वाली दुनिया | आशीष श्रीवास्तव | Cashless world: A world without cash
कैशलेस दुनिया(डिजिटल): बिना नगदी वाली दुनिया आपको किसी दुकान गये हैं या ऑन-लाइन खरीददारी कर रहे हैं भुगतान की बारी आयी तो पता चला कि आप बटुआ तो घर पर भूल आए है। अब क्या करें? तकनीक ने जिंदगी आसान बना दी है, बटुआ नहीं है तो क्या हुआ, जीवन-संगिनी के जैसे साथ रहने वाला […]
युवा और रंगमंच | प्रवीण शेखर | Youth and Theatre | Pravin Shekhar
युवा और रंगमंच बात उन दिनों की है, जब वियतनाम युद्ध चल रहा था। ब्रिटेन के लोग खुद को अलग-थलग, उदासीन, कटे हुए अनुभव कर रहे थे। उन्हीं दिनों पीटर बु्रक, जो महाभारत नाटक के लिए दुनिया भर में बहुचर्चित रहे हैं, उन्होंने ब्रिटेन के लोगों को वियतनाम पर आधारित एक नाटक दिखाया, किसी मकसद […]
साड़ियों की अनूठी दुनिया | सुदीप्ति | A Unique World Of Sarees | Sudipti
साड़ियों की अनूठी दुनिया साड़ी हमारे देश में एक पहनवा मात्र नहीं सामुदायिक जीवन के एक वृहतर घेरे के केंद्र में है। इसके द्वारा हम अपने देश के हथकरघे की समृद्ध परंपरा से न सिर्फ परिचित होते हैं। देश में सूत कातने-रंगने से लेकर कपडा बुनने वाले कारीगरों के जाने कितने प्रकार हैं। जब आप साड़ियों […]
आजादी के बाद बदलता समाज और साहित्य और स्त्री लेखन की चुनौतियां | गीताश्री | Changing society after independence and challenges of literature and women’s writing | Geetashri
आजादी के बाद बदलता समाज और साहित्य और स्त्री लेखन की चुनौतियां ‘कोई औरत कलम उठाए इतना दीठ जीव कहलाए उसकी गलती सुधर न पाए उसके तो लेखे तो बस ये है पहने-ओढ़े, नाचे गाए‧‧‧’ —-(वर्जिनिया वुल्फ) प्रसिद्ध स्त्रीवादी लेखिका वर्जीनिया वुल्फ ने जिन दिनों औरत और कथा साहित्य विषय पर भाषण देने की […]
गांधीजी की पेंसिल | आदित्य प्रकाश सिंह | Gandhi’s Pencil | Aditya Prakash Singh
गांधीजी की पेंसिल एक दिन काका कालेलकर गांधीजी से मिलने उनके निवास पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि गांधीजी परेशान थे और कुछ खोज रहे थे। काका कालेलकर ने पूछा, ‘बापू, क्या हुआ, क्या गुम गया है। आप कुछ खोज रहे हैं। क्या मैं आपकी मदद कर सकता हूं’। गांधीजी बोले, ‘मेरी एक पेंसिल नहीं मिल […]
प्रेमचंद को पढ़ना अपने आप को नैतिक बनाना है | हरियश राय | To read Premchand is to moralize yourself | Hariyash Rai
प्रेमचंद को पढ़ना अपने आप को नैतिक बनाना है प्रेमचंद हमारे समय के सबसे बड़े और विशिष्ट कथाकार हैं। ३१ जुलाई को उनका जन्म दिन होता है। जुलाई के इस महीने में आईये उनकी तीन कहानियो को फिर से याद करते हैं। ये तीन कहानियां है ‘बड़े भाई साहब,’ ‘ईदगाह’ और ‘दौ बैलों की कथा’। […]
योग और इम्यूनिटी | डॉ नाजिया खान (आयुर्वेदाचार्य) | Yoga And Immunity | Dr. Naziya Khan (Ayurvedacharya)
योग और इम्यूनिटी ‘योग भगाए रोग’ या ‘योगा से होगा’ आप सबने सुना ही होगा, आजकल काफी प्रचलित है। यूं तो योग का इतिहास पांच हजार वर्ष से अधिक पुराना है, लेकिन इस कोविड-काल में लोग इसके प्रति विशेष जागरूक और आकर्षित हुए हैं। इसीलिये आजकल ऐसे प्रोग्राम्स और लेखों की बाढ़ आ गई है, […]
जल संकट – विकटता की ओर | मनीषा कुलश्रेष्ठ | Water Crisis – Towards More Trouble | Manisha Kulshrestha
जल संकट – विकटता की ओर जल संकट की समस्या पर महज लोग तभी क्यों बातें करते हैं जब ग्रीष्म ऋतु आ जाती है और पानी की किल्लत शुरु हो जाती है। जल संकट या इतनी सतही समस्या है जितना कि हम सोचते हैं? क्या इसके प्रति और अधिक गंभीर रवैया अपनाने की आवश्यकता नहीं? […]
छद्म विज्ञान या स्यूडो साइंस तथा ठगी के नए तरीके | शरद कोकास | Pseudo science and new methods of cheating | Sharad Kokas
छद्म विज्ञान या स्यूडो साइंस तथा ठगी के नए तरीके आजकल सोशल मीडिया पर सामान्य जनों के बीच सूक्तियां, गुड मॉर्निंग, गुड नाईट के फूल पत्ती वाले पोस्टर, बोध कथाओं, प्रेम अथवा नफरत फैलाने वाले संदेशों के अलावा प्राचीन काल के आख्यानों, परम्पराओं, स्वास्थ्य ठीक रखने के नुस्खों को प्रस्तुत करने का चलन हैं। चूंकि […]