हरा-भरा करियर-संसार
नाइनटीज के बाद आई पीढ़ी अपने-आप में अलहदा है। मोबाइल की स्क्रीन पर आंखें खोलने वाले, ब्रेकअप पर भी पार्टी करने वाले, थियेटर में पांच सौ रुपए के पॉपकॉर्न चबा जाने वाले इस ताजा युवा-संसार में कुछ भी ‘चलतू’ किस्म का नहीं होता। मिलेनियल्स का यही एटीट्यूड आजीविका के मामले में भी है। इनकी पिछली पीढ़ी के करियर-ऑप्शन्स उंगलियों पर गिने जाने के काबिल होते थे पर नयी पीढ़ी ने आठों दिशाओं में, जमीन से आसमान तक… हर जगह करियर के विकल्प चुनने और बनाने में सफलता पाई है।
कन्टेन्ट का खजाना: देश में डिजिटल क्रांति, सृजनात्मक प्रतिभा से लैस युवाओं के लिए, व्यवसाय और पेशे का बूम लेकर आई। कुछ सर्वे बताते हैं कि अगले वर्ष तक भारत में इंटरनेट-उपभोक्ताओं की संख्या १० करोड़ के पार होगी। एक तरह से ६४ प्रतिशत आबादी इंटरनेट सुविधा से लैस हो जाएगी अगले साल तक। आपके पास कोई भी टैलेंट हो, डिजिटल माध्यमों से इन्हें दुनिया के सामने प्रस्तुत कर वारे-न्यारे करने के अनगिन रास्ते हैं। मोबाइल, कम्प्यूटर, कैमरा, टीवी इसके मुख्य हथियार हैं। यू-ट्यूब उन सबका लाल कालीन बिछाकर स्वागत करता है जो मौलिक, लोकप्रिय और बेहतरीन कंटेंट क्रियेट कर सकते हैं। यह कंटेंट किसी भी रुचि, क्षेत्र, भाषा का हो सकता है, बस उसे लोगों के द्वारा पसंद किया जाए। जैसे जैसे आपके चैनल की व्यूअरशिप बढ़ेगी, आपका बटुआ मोटा होता जाएगा।
कैमेरे का हुनर: कैमरे की आंख से दुनिया को खूबसूरत दिखाने और देखने का हुनर जिनके पास है, उन्होंने स्वतंत्र रूप से या कार्पोरेट सेक्टर से जुड़ कर अपने लिए तरक्की के नए द्वार खोले हैं। कैमरे का कमाल आपको टीवी की रुपहली और सिनेमा की सुनहरी दुनिया की दहलीज तक ले जा सकता है। आधुनिक साधनों के प्रयोग से कार्यक्रमों का स्वरूप, उनके निर्माण से लेकर प्रस्तुतीकरण तक बहुत ज्यादा उन्नत हुआ है। हुनर विशेष में आपकी योग्यता और शिक्षा आजीविका के नए और बेहतर मौके उपलब्ध कराती है। उदाहरण के लिए, कुछ समय पहले तक वीएफएक्स किस चिड़िया का नाम है, लोग नहीं जानते थे, आज इसके बिना फिल्म-निर्माण ही नहीं होता। वीएफएक्स और एडीटिंग दोनों आज कैरियर के अनुपम विकल्प के रूप में जगह बना चुके हैं।
एंटरटेनमेंट: मनोरंजन आज सिर्फ मन के रंजन तक सीमित नहीं रहा, अब यह बाकायदा एक उद्योग है, एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री। अनेक आयाम, अनेक करियर्स। आपके पास खूबसूरत आवाज है, आपको नाचना अच्छा आता है, आप अच्छा सिखा सकते हैं, अच्छा अभिनय कर सकते हैं तो यह इंडस्ट्री बांहें पसारे आपका इंतजार कर रही है। कभी फिल्मों में काम पाना संघर्ष से भरा रास्ता होता था, आज टीवी के रियालिटी शोज पहली सीढ़ी बने मिलते हैं। सिंगर, डांसर, कोरियोग्राफर… स्टेज की चकाचौंध भरा ग्लैमर युवजन के कदमों तले ही तो है और भले ही नजर न आता हो, इतना ही जगमग है परदे के पीछे का प्रोफेशन-परिदृश्य।
खेतों की हरी-भरी दुनिया: आईटी से बाहर निकल कर प्रकृति की ओर रुख करें तो यहां भी मिलेनियल्स का जादू दिखाई देता है। रूरल डेवलेपमेंट, ऑर्गेनिक फार्मिंग, नर्सरी, फ्लावर-प्रोडक्शन, डेयरी आदि ऐसे क्षेत्र हैं जो आपको प्रकृति से जोड़े रखते हैं। आज युवाओं की बड़ी जमात जमीन और जड़ों से जुड़ने के लिए लालायित है। वे खेतों में उतर रहे हैं, नयी वैज्ञानिक सोच और उन्नत उपकरणों के साथ। यकीनन ये नयी पीढ़ी के लिए शानदार करियर-ऑप्शन्स में जगह रखते हैं।
एडवेंचर: आप में हौसला है तो करियर के दृष्टिकोण से पर्वतों की ऊंचाई और सागर की गहराई भी कम है। पर्वतारोहण को आजीविका का साधन बनाना, आज से कुछ बरसों पहले तक दूर की कौड़ी था, आज हकीकत है। पानी की लहरों पर इठलाना भी इसी श्रेणी में आता है। काम के समय जमकर मेहनत और आराम के समय फुल-टू आनंद – आज समाज का दर्शन बन गया है। छह दिन काम में अपने आपको झोंकने वाली जमात वीकेंड मनाने पर्वत, नदी, जंगल की ओर चल पड़ती है। ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग, कैम्पिंग, बंजी जम्पिंग, स्कूबा डायविंग, पैराग्लाइडिंग, आदि… इन विधाओं में पहले स्वयं निपुण हो लें, आवश्यक प्रशिक्षण प्राप्त करें, सुविधाएं जुटाएं, आधिकारिक अर्हताएं पूरी करें और नये क्षेत्र से जुड़कर जीवन-यापन का सुख हासिल करना बस आप वयुवाओं के लिए ही है।
खान-पान-फूड-वूड: खाना। जीवन का आधार और मूलभूत जरूरत। क्या खाने से कमाई हो सकती है? जी हां, जेन-नेक्स्ट के लिए कुछ भी असंभव नहीं। खाना बनाना और खिलाना ही नहीं, सिर्फ खाना भी बैंक-बैलेंस बनाने में सहायक हो सकता है, यह किसी फूड-ब्लॉगर या चैनल-क्रियेटर से ही जाना जा सकता है। अगर आपको खाने का शौक है, खाने की बारीकियां समझते हैं, कमियां पकड़ सकते हैं तो फूड-ब्लॉग लिखिए या चैनल बनाइए। खाना बनाने का शौक है तो इस तथ्य का लाभ उठाइये कि आज मध्यमवर्गीय परिवार भी महीने में ६ या ७ दिन बाहर का खाना एन्जॉय करता है। छोटे से स्टाल से रेस्टोरेंट तक, घर के किचन से जोमैटो-स्विग्गी तक… खाना बनाने की कला आपको मालामाल कर सकती है। टीवी की दुनिया में शेफ आज सेलेब्रिटी का दर्जा रखते हैं, यह भला किससे छुपा है!
टेस्टिंग टेस्टिंग :खाने जैसा ही दर्जेदार करियर है पीने वालों के लिए। चौंकिए नहीं। आप चाय-कॉफी पीते हों या अल्कोहलिक-पेय, सिर्फ पीना आपके लिए नौकरी की दस्तक बन सकता है। चाय उगाना, कॉफी-निर्माण की यूनिट जमाना या मदिरा की फैक्ट्री स्थापित करना… ये व्यवसाय तो कब से मौजूद हैं। अब टी-टेस्टिंग भी एक माध्यम है, आय का…. टेस्टिंग, ब्रांडिंग, मार्केटिंग। इस क्षेत्र में डिग्री या सर्टिफाइड कोर्स करना भी अब संभव है। यही कॉफी के साथ है। बारिस्ता बनने के लिए विदेशों तक जाकर डिग्री ली जा रही है। सिलिकन वैली के हर दफ्तर में कॉफी-मशीनों ने जगह सुनिश्चित कर ली है, कैफे युवा-जीवनचर्या का आवश्यक हिस्सा बन रहे हैं तो नौकरी तो पक्की है ही।
स्टैंड-अप: कभी हंसाने का काम दोयम दर्जे का माना जाता था। मसखरा, जोकर जैसे सर्वनाम उन्हें मिलते थे। आज कमेडियन होना, स्टार होने से कम नहीं। चीजों कोमहीनता से देखने, उन्हें हास्य का पुट देने और व्यंग्य का तड़का लगाने की महारत जिनके पास है, वे स्टैंडअप कॉमेडी को प्रोफेशन के रूप में अपना रहे हैं।
गेमिंग: मोबाइल और कम्प्यूटर पर गेम खेलने का कीडा ़किसके अंदर नहीं है? बस यही कीडा ़आपको लिये चलता है, गेम डेवलपर के जानदार करियर में। अलग-अलग प्लेटफॉम्र्स के लिए गेम बनाना, विकास, उत्पादन, पैकेजिंग आदि। फिर चाहें तो कम्पनियों को अपनी सेवाएं दें या फ्रीलांस करें काम।
ब्यूटी का कारोबार: डिजिटल और आई टी की दुनिया से हटकर है वह जगत, जहां कलाओं का बोलबाला है। और यहां भी प्रोफेशन्स की कमी नहीं है। श्रृंगार में भला किसे रुचि नहीं होती! और त्वचा, बाल, नाखून, किसे रखा जा सकता है बदसूरत! क्या पुरुष, क्या स्त्री… नख से शिख तक सुंदर दिखना आज समय की जरूरत है। यही विशेषता आधार है फैशन, कॉस्मेटिक्स या ब्यूटी इंडस्ट्री की। यहां भी जेंडर को लेकर कोई भेदभाव नहीं है। जरूरी शिक्षा, विशेषज्ञता और अनुभव के बल पर यहां कोई भी राज कर सकता है। आपकी अपनी गली से लेकर ग्लैमर-वर्ल्ड तक… आप अपने साम्राज्य को फैला सकते या सकती हैं।
और भी हैं रास्ते: बढ़िया आजीविका के चुनाव के लिए समाज के रुझान को पहचानना जरूरी है। पारम्परिक हो या अपारम्परिक, अगर आपके पास अवसर को पहचानने और लपकने का हुनर है, मेहनत का माद्दा है और विपरीत परिस्थिति में जूझने का जज्बा है तो आप स्वयं नये आजीविका-माध्यमों का निर्माण कर सकते हैं। बिल्कुल मौलिक विचार लेकर अपना स्टार्टअप शुरू करना हर किसी का सपना हो सकता है। शासकीय योजनाएं युवाओं के प्रति बहुत उदार और सहयोगी हैं। योग से रोबोटिक्स तक, ज्योतिष से ईवेंट-मैनेजमेंट तक, सेना से अंतरिक्ष तक, ब्यूटी पार्लर से होटल-मैनेजमेंट तक, पेट-ग्रूमिंग (पालतू पशुओं की देखभाल) से स्पाई (जासूसी) तक… जेन नेक्स्ट जहां कदम रखती है, पैसों का पेड़ उगा सकती है। करियर खोजने के लिए गूगल देवता की शरण में जाने से इंकार करने और अपने दिमाग पर भरोसा कर, अकाउंट की सेहत तगड़ी करने वाले कहां कम हैं इस ऊर्जावान-क्षमतावान नवसमाज में!
किसी ने सच ही कहा है, ‘आकाश, धरती और समुद्र का एक दायरा हो सकता है। दायरा नहीं होता इंसानी सोच का।’
अधिक हिंदी ब्लॉग पढ़ने के लिए, हमारे ब्लॉग अनुभाग पर जाएँ।
दीप्ती कुशवाह