हम कौन सी किताबें पढ़ते है?
सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताबें कौन सी होती हैं? जाने-माने हिंदी लेखक के इस लेख के निष्कर्ष जानकर आपको आश्चर्य हो सकता है –
सबसे ज्यादा वे किताबें पढ़ी जाती हैं जो पाठक कहीं से चुरा कर लाता है। किताब चुराने का जोखिम तभी उठाया जाएगा, जब किताब नजर तो आ रही हो, लेकिन हमारे पास न हो। कई बड़े लेखक किताब चोर रहे हैं। यह एक कला है।
फिर उन किताबों का नम्बर आता है जिन्हें हम उधार मांग कर तो लाते हैं, लेकिन वापस नहीं करते। करना ही नहीं चाहते। जिसके यहां से उधार लाये थे, उसके घर आने पर छुपा देते हैं।
फुटपाथ पर बिक रही अचानक नजर आ गयी वे किताबें भी खूब पढ़ी जाती हैं, जिनकी हम कब से तलाश कर रहे थे।
पूरे पैसे देकर खरीदी गयी किताबें भी अपना नम्बर आने पर आधी-अधूरी पढ़ ही ली जाती हैं।
लाइब्रेरी से लायी गयी किताबें पूरी नहीं पढ़ी जातीं और उन्हें वापिस करने का वक्त आ जाता है।
रोजाना डाक में उपहार में आने वाली या किसी आयोजन में अचानक लेखक के सामने पड़ जाने पर भेंट कर दी गयी किताबें कभी नहीं पढ़ी जातीं। कई बार तो भेंट की गई किताबें भेंटकर्ता के जाते ही किसी और पाठक के पास ठेल दी जाती हैं। वह आगे ठेलने की सोचता रहे या बिन पढ़े एक कोने में रखा रहे।
कोर्स की किताबें पढ़ने में हमारी नानी मरती है और समीक्षा के लिए आयी किताबें भी तब तक पढ़े जाने का इंतजार करती रहती हैं, जब तक संपादक की तरफ से चार बार अल्टीमेटम न मिल जाये। तब भी वे कितनी पढ़ी जाती हैं। हम जानते हैं।
पुस्तक मेलों में खरीदी गई किताबें भी पूरे पढ़े जाने का इंतजार करते करते थक जाती हैं और अगला पुस्तक मेला सिर पर आ खडा ़होता है।
यात्रा में टाइम पास करने के लिए स्टेशन, बस अड्डे या एयरपोर्ट पर खरीदी गयी किताबें यात्रा में जितनी पढ़ ली जायें, उतनी ही। बाकी वे कहीं कोने में या बैग ही में पड़े-पड़े अपनी कहानी का अंत बताने के लिए बेचैन अपने इकलौते पाठक को वक्त मिलने का इंतजार करती रहती हैं।
हर व्यक्तिगत लाइब्रेरी में लगातार कम से कम 40 प्रतिशत ऐसी अनचाही किताबें जुड़ती जाती हैं, जो एक बार भी नहीं खुलतीं। इनमें किताबों का कोई कसूर नहीं होता, जितना उनका गलती से वहां पहुंच जाने का होता है।
किताबें दो जगह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाती हैं। अच्छे पाठक के हाथ में खराब किताब पड़ जाने पर और अच्छी किताब के खराब पाठक के हाथ में पड़ जाने पर। आसाराम की आत्मकथा मेरे लिए बेकार है और मेरी आत्मकथा आसाराम के लिए बेकार है।
किताबें सबसे अच्छा उपहार
ये मेरे नोट्स हैं। आपके अनुभव निश्चित रूप से अलग हो सकते हैं। मेरा मानना है कि जब भी यात्रा पर निकलें, आपके बैग में दो किताबें होनी चाहिए। एक किताब जाते समय और बाहर ठहरने के दौरान पढ़ने के लिए और दूसरी किताब वापसी की यात्रा के लिए। यात्रा के दौरान जो किताब पढ़ ली जाए, उसे घर वापिस लाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है क्योंकि वह किताब फिर कभी खोली ही नहीं जाएगी।
यूं करें कि यात्रा के दौरान जो व्यक्ति आपको सबसे ज्यादा प्यारा लगा हो, जिसने आपकी खूब सेवा की हो या आपका ख्याल रखा हो – उसे यादगार के रूप में पढ़ ली गई किताब भेंट कर दें। यकीन मानिए जितनी खुशी उस पाठक को आपकी वह किताब पा कर होगी उससे ज्यादा खुशी आपकी किताब को होगी कि आपने उसे एक और पाठक तक पहुंचाया है।
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सूरज प्रकाश