होली, प्रह्लाद और इस्लाम | डॉ. शबनम खातून

होली, प्रह्लाद और इस्लाम | डॉ. शबनम खातून | Holi, Prahlad and Islam | Dr. Shabnam Khatun

होली, प्रह्लाद और इस्लाम

ईश्वर भक्त प्रह्लाद की ही तरह इस्लाम में भी खुद को एकमात्र खु़दा का बंदा मानने वाले एक पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम हुए हैं, जिन्हें एक ताकतवर बादशाह ने विकराल आग में जला देने की कोशिश की, पर नाकामयाब रहा।

जब प्रह्लाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी-यह कहते हुए कि मैं तुम्हें भगवान नहीं मान सकता, क्योंकि मेरा भगवान तो कोई और है, तो गुस्से में हिरण्यकश्यप ने पहाड़ से फिंकवाने सहित उन्हें तरह-तरह से मारने की कोशिश की और कहा कि देखें, तुम्हारा भगवान तुम्हें कैसे बचाता है। लेकिन, ईश्वर पर प्रह्लाद को इतना यकीन था कि वह उन्हें जरूर बचाएगा। यहां तक कि प्रह्लाद को आग में भी जलाया गया, लेकिन होलिका जल गई, मगर प्रह्लाद को उसके ईश्वर ने वहां भी बचाया।

ठीक प्रह्लाद की ही तरह मजहब-ए-इस्लाम में एक पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम हुए हैं। उस वक्त बादशाह नमरूद ने कहा कि मैं खु़दा हूं। तुम सब मुझे खु़दा मानो। मेरी परस्तिश करो, मेरी पूजा करो। पैगंबर इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने कहा कि मैं तुमको खुदा नहीं मान सकता। मैं केवल एक खु़दा की इबादत करता हूं और करता रहूंगा। नमरूद बादशाह ने कहा कि जो तुम्हारा खु़दा कर सकता है वह मैं भी कर सकता हूं। मैने दुनिया में जन्नत और जहन्नुम भी बनाया है। जब इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने उसे खुदा मानने से इनकार किया तो नमरूद ने बहुत विकराल आग लगाई और कहा कि देखें, अब तुम्हारा खु़दा तुमको कैसे बचाता है।

गुल-ए-गुलजार

इस्लामिक इतिहास बताता है कि यह इतनी बड़ी आग थी कि दो किलोमीटर दूर से भी अगर कोई परिंदा भी गुजरता था तो वह जल कर खाक हो जाता। उस आग में एक विशेष तरह के झूले से हजऱत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को फेंका गया और नमरूद ने कहा देखते हैं तुमको तुम्हारा अल्लाह कैसे बचाता है…। अल्लाह ने अपने पैगंबर की हिफाजत करने के लिए फरिश्तों से कहा कि आग को फौरन ठंडी हो जाने का हुक्म दो। फरिश्तों ने कहा ऐ आग, तू सलामती वाली ठंडी हो जा। (सलामती वाली ठंडक से यह मतलब है कि इतनी भी न ठंडी हो जाए कि ठंड से उनको तकलीफ हो जाए।) और गुल-ए-गुलजार बन जा। फिर क्या था वह आग पैगंबर को जला न सकी। बल्कि दहकते हुए लावे अल्लाह का हुक्म पाकर तरह-तरह के फूल बन गए और इस तरह फूलों का पूरा बागीचा बन गया। इस किस्से का जिक्र कुरआन में भी है।

इस तरह देखा जाए तो हिंदू और मुस्लिम-दोनों मजहबों में कितनी समानताएं है। सब अपने-अपने रास्ते पर चल रहे है, फिर भी आज ईश्वर के नाम पर झगडा ़हो रहा है कि यह मेरा खु़दा, यह तेरा खु़दा…। आओ, मिल कर सबको गले लगाएं। प्यार-ओ-मोहब्बत के नगमे गाएं।

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डॉ. शबनम खातून

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