आजादी के बाद बदलता समाज और साहित्य और स्त्री लेखन की चुनौतियां ‘कोई औरत कलम उठाए इतना दीठ जीव कहलाए उसकी गलती सुधर न पाए उसके तो लेखे तो बस ये है पहने-ओढ़े, नाचे गाए‧‧‧’ —-(वर्जिनिया वुल्फ) प्रसिद्ध स्त्रीवादी लेखिका वर्जीनिया वुल्फ ने जिन दिनों औरत और कथा साहित्य विषय पर भाषण देने की […]